शुक्रवार, 8 मई 2015

मंजिल (कविता)

मंजिल की तरफ बढते रहना।
हरदम कदम को बढ़ाते रहना
जिन्दगी, है लक्ष्य को पाने लिए
उन्नति  के पथिक  बने रहना।
जिन्दगी में बहुत सी समस्याएँ।
धैर्य के बल पर इसे निपटाएँ ।
तभी होगे  हम  लोग मजबूत,
सबको यही हम पाठ सीखाएँ।
रास्ता  है  बहुत  टेड़ा-मेड़ा।
पार करना  जिवन का बेड़ा।
रोड़े  आते  रहते हैं बहुत से,
सबसे तो निपटना ही पड़ेगा।
हिम्मत रखकर आगे बढना।
लक्ष्य से कभी नहीं भटकना।
हमेशा यही कोशिश करना।
मंजिल तक जरूर पहुँचना।
---------रमेश कुमार सिंह

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