बुधवार, 1 अप्रैल 2015

स्वाद (कविता)


एक टॅाफी मिला।
जैसे गुल खिला।


कई दिनों से इन्तजार था।
उस टॅाफी के स्वाद का।


न जाने कैसा होगा स्वाद।
यही दिल के अन्दर आस।


तभी अचानक याद आई।
वो टॅाफी मेरे हाथ में आई।


स्वाद होगा कैसा आखिर।
चखकर देखें इसे जरुर।


तभी याद आये साथी लोग।
लिये स्वाद हम तीन लोग।


तब जाकर पता चला ऐसा।
है इसका स्वाद मिठा जैसा।


बहुत बहुत स्वादिष्ट लगा था।
कल्पना जैसा मन में था।
कल्पना जैसा मन में था••••!
~~~~~~~~रमेश कुमार सिंह

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